सोमवार, 1 अगस्त 2016

हिन्दू दलित और धर्म

#दलितों #पिछड़ों को किसी और कौम में जाने की कोई आवश्यकता नहीं है।

किसी भी #ग्रन्थ में नहीं लिखा है कि #दलित मन्दिर में नहीं जा सकता !

#ईश्वर केवल मन्दिर में ही नहीं हर कण में है, आपके मन में भी है।

यदि #ब्राह्मणवाद दलितों को कहीं जाने से रोकता है तो ये उसकी गलती है, वह #ढोंग कर रहा है।

#धर्म कोई #व्यापार #व्यवसाय नहीं है कि इसका कोई ठेकेदार होगा! यह तो जीवन जीने का एक #सुगम मार्ग है।

आप अपने घर में मंदिर बनाइए, आप #ब्राह्मणों का निर्देश न मानिए, आप ग्रन्थों, गीता आदि से शिक्षा लीजिए, उसमें कोई #भेदभाव नहीं है।

ये जो कुछ #लोग आगे आकर के कहते हैं कि यदि उन्हें #मन्दिर में प्रवेश नहीं मिला तो वे मुसलमान बन जायेंगे, वे ईसाई बन जायेंगे। ये वही लोग हैं जिनकी #चाटुकारिता की दुकानें 2014 #लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद से ही बन्द पड़ी हैं।
आप इनके बहकावे में न आएं !

धर्म को #जेल अथवा #कारागार न समझें !

धर्म जीवन को सुगम बनाने का उपयुक्त निर्देशक है।

धर्म एकता की कुँजी है।

धर्म ही #मानवता की परिभाषा है।

--------- अंगिरा प्रसास मौर्य #मौर्य
#दिनाँक : ०२/०८/२०१६

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