शनिवार, 4 मार्च 2017

कोल्ड्रिंक और सूखा

लोग तो कोल्ड्रिंक पीते हैं लोगों को बहुत अच्छा लगता है पेप्सी-कोकाकोला आदि।

क्या किसीने कभी सोचा की 1लीटर कोल्ड्रिंक बनाने से बेचने तक कितने लीटर पानी का अपव्यय(नुकसान) होता है ?

1 लीटर कोल्ड्रिंक के ऊपर 100लीटर से अधिक पानी नुकसान किया जाता है। यह पानी वे लोग नदियों से ही निकालते हैं।

और जब एकबार पानी भाप बनके उड़ जाता है तो यह निश्चित नहीं कि वह लखनऊ में बरसेगा या कैलिफोर्निया में !
यह बारिस बीच सागर में भी हो सकती है।

लोग तो होली में ये मुहिम चलाते हैं कि पानी बचाएँ और कोल्ड्रिंक के खिलाफ कोई इकठ्ठा नहीं होता !

कल मद्रास हाईकोर्ट से फिर से कोल्ड्रिंक कंपनियां केस जीत गयीं और वो फिर से नदियों से पानी निकालेंगे !
घबराने की कोई बात नहीं !

1मार्च से तमिलनाडु में कोल्ड्रिंक की बिक्री का वहाँ के व्यापारियों ने बहिष्कार किया है, और डेढ़ लाख दुकानदारों ने अपने दूकान से कोल्ड्रिंक निकालकर फेंक दिया।

हमारी धरती सूखकर अगर सारा पानी सागर में इकट्ठा हो जायेगा तो हम्हीं लोग सूखे के जिम्मेदार होंगे और इसका मूल्य(कीमत) भी हम्हीं को अदा करना होगा।

हो सके तो लोगों को जागरूक बनाएं !
और चाहे स्वदेशी कोल्ड्रिंक हो या विदेशी उसके विरुद्ध क्रांति लाएँ और संघर्ष करें।

देशप्रेमी बनना और अपनी धरती को माँ समान मानना मात्र कहकर नहीं जमीनीस्तर(ground level) पर परिभाषित करें !

#वन्दे_मातरम्

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