शुक्रवार, 24 मार्च 2017

मांसाहार समस्त मानवजाति के लिए एक अभिशाप से बढ़कर और कुछ भी नहीं

जय श्री कृष्ण !

भगवद्गीता के अनुसार जहाँ पर अन्न एवं साग-सब्जियाँ उपलब्ध हों वहाँ पर मांस खाना घोर पाप है।

जो लोग सबकुछ उपलब्ध होते हुए भी मांस खाते हैं वे दुराचारी हैं।
उनसे यदि इसपर प्रश्न पूंछा जाय तो वे कह सकते हैं कि जीवन के लिए खाते हैं या जीवित रहने के लिए खाते हैं!

जबकि ऐसा नहीं है,
आप मनुष्य हैं जानवर नहीं !
आप अपने जीवन के लिए दूसरे का जीवन नहीं ले सकते हैं!

आप कैसे धार्मिक हैं ?
यदि आपका मांस खाकर कोई अपनी भूख मिटाये तो आपके लोगों को कैसा लगेगा !
आपके लोग तो कहेंगे कि ये अधर्म हो रहा है !
जब आपका मांस खाना अथर्म है तो दूसरे जीवित पशु-पक्षी का मांस खाना धर्म कैसे हो सकता है ?

जो लोग मांस खाते हैं वो अधर्मी हैं।
यदि ऐसा ही चलता रहा तो एक दिन ईश्वर की सुनामी आएगी और ऐसे नर-नारियों का जन्म होगा जिनको केवल मांसाहारी लोगों के ही मांस अच्छे लगते हैं वो भी बिना तेल मसाले के !

#अंगिरा_प्रसाद_मौर्य
#कृष्णम्_वन्दे_जगतगुरुम

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