फिल्मों में मनोरंजन के नाम पर,
1. भ्रष्टाचार करने का तरीका बताया जाता है।
2. बलात्कार का प्रचार किया जाता है।
3. युवाओं के समय को रुपयों के साथ खरीद लिया जाता है।
4. सामाजिक और ऐतिहासिक चरित्रों से छेड़छाड़ किया जाता है।
5. समाचारों के बीच में फिल्मों से संबंधित फालतू समाचार आ जाता है।
फिर बहुत लोगों का कोई न कोई पसंदीदा फ़िल्म होता है और कोई न कोई अभिनेता अथवा अभिनेत्री आदर्श होती।
इतनी फिल्में बन चुकी हैं कि, 3 घंटे की फ़िल्म की वजह से एक दिन में ही हमारा देश 125करोड़×3= 375 करोड़ घन्टे की रफ्तार से पीछे जा रहा है।
ऐसे में अगर फिल्में बन रही और रिलीज हो रही हैं तो हमारा देश सुपर पावर बनने की कल्पना को कल्पना ही रखे, चीन को भी पीछे नहीं छोड़ पायेगा !
जय श्री कृष्ण
शुभ रात्रि
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें